वीडियो एक्स्प्लैनर : सतीश पुनिया के साथ किसने किया सड़यंत्र : पुनिया के ट्वीट से मचा घमासान , किसने हराने के लिए लगाया जोर , क्या लोकसभा चुनाव में जाट समाज होगा भाजपा से दूर

फोटो  : फाइल फोटो

जयपुर , 04 दिसम्बर

प्रदेश में पांच साल वाला ट्रेंड कायम रहा । गहलोत का सरकार रिपीट वाला सपना अधुरा ही रह गया और पांच साल वाला ट्रेंड कायम रहा । इस चुनाव में बड़े बड़े दिग्गजों को हार का सामना करना पड़ा है । अब वो दिग्गज कांग्रेस के हो या भाजपा के हार का सामना उन्हें करना पड़ा है ही , जिसे झुठलाया नही जा सकता है ।

उनमे एक हार है नि वर्तमान सरकार में उप नेता प्रतिपक्ष सतीश पुनिया की भी । कल तक तो इस हार को अलग तरह से लिया जा रहा था लेकिन अब ये राजनितिक विश्लेशण हिस्सा बन चुक्की है । क्योंकि आज सुबह सतीश पुनिया ने एक टवित किया । टवित कोई सामान्य टवित नही था बल्कि चौंकाने वाला था , पुनिया ने एलान किया कि भविष्य में वे आमेर से चुनाव नही लड़ेंगे ।

इससे पहले भी चर्चाये थी कि पुनिया को हराने के लिए पूरा जोर लगाया जा रहा है लेकिन ये जोर पर्दे के पीछे था । आज पुनिया के टवित के आने के बाद ये जग जाहिर हो गया है । जिस तरह से पुनिया को चुनाव से ठीक पहले पार्टी अध्यक्ष पद से हटाकर सीपी जोशी को बैठा दिया ।

जब जाट समाज ने विरोध किया तो विरोध को थामने के लिए जूनियर राजेन्द्र राठोड को नेता प्रतिपक्ष व पुनिया को जुनियर पद यानी उप नेता पद दिया गया । तब भी साफ़ था कि पुनिया को पार्टी ने मज़बूरी में ये पद दिया है । इसके बाद उनकी टिकट काटकर किसी और की दी जाने की चर्चा चली लेकिन जाट समाज नाराज ना हो इसलिए इसे टाल दिया गया ।

आगे बढे इससे पहले पुनिया के पुरे टवित को हम आपको बताते है ।

पुनिया लिखते
है  कि राम राम सा,
लोकतंत्र में जनता जनार्दन होती है, मैं आमेर की जनता के निर्णय को स्वीकार करता हूँ और कांग्रेस के विजयी प्रत्याशी  प्रशान्त शर्मा  को बधाई देता हूँ, आशा करता हूँ कि वो आमेर के विकास को यथावत गति देते रहेंगे और जन भावनाओं का सम्मान करेंगे।

आमेर से मेरा रिश्ता दस बरसों से है, 2013 में पार्टी के निर्देश पर चुनाव लड़ने आया था, चुनाव में मात्र 329 वोटों की हार हुई लेकिन भाजपा की सरकार के दौरान हमने यहाँ विकास को मुद्दा बनाकर काम किया, हालाँकि लोग कहते हैं कि यहाँ बड़ी बड़ी जातियों का बाहुल्य है और जातियों के इस जंजाल  में जाति से ऊपर उठकर कोई विकास की सोचें थोड़ा मुश्किल है, 2013-2018 में हमने कोशिश की,थोड़ा सफल हुए,विकास कार्यों से लेकर कोरोना के दौरान सेवाकार्यों से लोगों में भरोसा पैदा करने की कोशिश की थी लेकिन शायद लोगों को समझाने में हम विफल रहे।

पुनिया आगे लिखते है कि माना कि चुनाव में हार जीत एक सिक्के के दो पहलू हैं लेकिन आमेर की यह हार मेरे लिए सोचने पर मजबूर करने वाली है एक आघात जैसी है, हमने सपने देखे थे कि आमेर इस बार रिवाज बदलेगा और हम मिलकर सरकार के माध्यम से कार्यकर्ताओं का सम्मान और जनता का बेहतरीन काम करके इसे आदर्श विधानसभा क्षेत्र बनाएँगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ,यह समय मेरे लिए कठिन परीक्षा की घड़ी जैसा है परन्तु परिस्थितियों और मनोवैज्ञानिक रूप से मैं यह निर्णय करने के लिए मजबूर हूँ कि मैं अब भविष्य में आमेर क्षेत्र के लोगों और कार्यकर्ताओं को सेवा और समय नहीं दे पाऊँगा, पार्टी नेतृत्व को भी मैं अपने निर्णय से अवगत करवाकर आग्रह करूँगा कि यहाँ कि समस्याओं के समाधान के लिए योग्य व्यक्तियों की नियुक्ति करें, साथ ही एक लंबे अरसे से पार्टी संगठन को पूरा समय देने के कारण पारिवारिक कामों से दूर रहा हूँ, अत: अब मैं कुछ समय अपने पारिवारिक कामों को पूरा करने में लगाऊँगा, ईश्वर मुझे शक्ति दे।

पुनिया ने ये नही लिखा कि वो राजस्थान में समय नही दे पाएंगे बल्कि ये लिखा है कि आमेर को समय नही दे पाएंगे । इसका साफ मतलब है कि पुनिया को हराने के लिए पूरी कोशिश की गयी है ताकि किसी जाट नेता को मंत्री पद ना मिले ।

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