फोटो : फाइल फोटो
नई दिल्ली / जयपुर , 08 दिसम्बर
जैसे जैसे समय व्यतीत होता जा रहा है वैसे वैसे राजस्थान में हलचल तेज होती जा रही है । एक तरफ राजस्थान में सीएम के नए नए दावेदार सामने आ रहे है तो दूसरी तरफ सीएम के नाम की घोषणा के कयासों के बीच दिल्ली में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। राजे की जेपी नड्डा के साथ हुई मैराथन मुलाकात ।
वही भाजपा ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, सरोज पांडे और विनोद तावडे को राजस्थान के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त किया है। ये पर्यवेक्षक राजस्थान को लेकर विधायकों से रायशुमारी कर सकते हैं। जानकारी के अनुसार 10 दिसंबर को विधायक दल की बैठक हो सकती है।
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलने गुरुवार देर रात उनके आवास पर रात करीब 8 बजे पहुंचीं थी। इस दौरान सवा घंटे तक दोनों के बीच चर्चा चली। वहीं प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी भी आज दिल्ली पहुंच गए हैं। इधर, नड्डा से मुलाकात के बाद राजे ने गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की।
वही राजे के बेटे सांसद दुष्यंत सिंह पर बाड़ेबंदी करने के आरोप लग रहे है । लेकिन ललित मीणा के पिता हेमराज मीणा के आरोप को बीजेपी विधायक कंवरलाल मीणा ने गलत बताया है। कंवरलाल मीणा ने कहा कि किशनगंज विधायक ललित मीणा के पिता हेमराज मीणा ने जो आरोप लगाए हैं, वह सरासर गलत हैं। हम सब झालावाड़-बारां लोकसभा क्षेत्र के विधायक हैं। जीतने के बाद विधायक ललित मीणा सहित आरएसएस व भाजपा कार्यालय बारां गए थे। सुबह 6 बजे अपने-अपने घरों से हम सब गाड़ियों से जयपुर आए थे। आपसी सहमति से एक साथ होटल में रुके थे। बाड़ेबंदी जैसी बात कहना शरारतपूर्ण है। गलत है।
अगर सीएम के नाम की बात की जाये तो इसमें किरोड़ीलाल मीणा , रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव , बाबा बालकनाथ , दिया कुमारी , गजेन्द्र सिंह शेखावत ,ओम बिडला और अर्जुन राम मेघवाल का नाम प्रमुख है । मुख्यमंत्री के नाम पर जो थ्योरी चल रही है उसके अनुसार किसी राजपूत चेहरे को भी सीएम बनाया जा सकता है । वही दो उप मुख्यमंत्री बनाए जा सकते है । जिनमें बाबा बालक नाथ और किरोड़ी लाल मीणा का नाम प्रमुख है ।
दूसरी तरफ अगर दलित या आदिवासी को सीएम बनाया गया तो एक राजपूत और एक ब्राहमण को उप मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है । जिसमे सीएम के नाम में अर्जुन राम मेघवाल और किरोड़ी लाल मीणा सबसे आगे है । चर्चा है कि ब्राहमण या राजपूत को सीएम की कुर्सी दी जा सकती है । ऐसे में दो उप मुख्यमंत्री अलग जातियों से हो सकते है ।
इधर राजनितिक विश्लेशको का कहना है कि अगर आलाकमान वसुंधरा राजे को सीएम नही बनाता है तो ये सरकार ज्यादा दिन नही चलेगी और फिर से बहुमत साबित करना पड़ेगा । ऐसे में सरकार गिर सकती है क्योंकि राजे समर्थक विधायक कांग्रेस को समर्थन दे सकते है ।
अब सवाल उठता है कि मोदी - शाह राजे को सीएम क्यों नही बना रहे .? इसका जवाब ये है कि ललित मोदी प्रकरण में राजे का नाम शामिल हुआ तो भाजपा ने कुर्सी छोड़ने को कहा था लेकिन सुषमा स्वराज का नाम भी आने की वजह से राजे बच गयी थी । जिसके बाद से राजे को किसी भी रैली या सभा में कोई तवज्जो नही दी जा रही है ।
दूसरी तरफ किसान आन्दोलन में जाट समाज की भागीदारी की वजह से भी भाजपा से जाट नेताओ को भी धीरे धीरे किनारे लगाया जाने लगा है । इसका सबसे ताजा उदहारण सतीश पुनिया है । पहले तो सतीश पुनिया को भाजपा अध्यक्ष पद से हटाया गया और फिर उनके पतन की कहानी लिखी गयी । यही नही जाट बाहुल्य जिलो से जाट समाज से आने वाले जिला अध्यक्षों को हटाकर नए जिला अध्यक्ष लगाए ।
सतीश पुनिया ने हाल में अपनी पोस्ट में अपनी हार का जो कारण दिया उससे साफ है कि पुनिया को हराया गया है । चुनाव से पहले पुनिया के खिलाफ वोटिंग करने के बयाकायदा पत्र जारी किये गये था । यही कारण था कि पुनिया ने अपनी पोस्ट में लिखा कि वो अब कभी आमेर से चुनाव नही लड़ेंगे ।
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