फोटो : फाइल फोटो
झुंझुनू , 23 अगस्त 2025
रिपोर्ट : एडिटर
जिले के सरकारी अस्पताल में मशीनें होने के बावजूद सोानोग्राफी के लिए मरीजों को निजी लैब से जांच करवानी पड़ रही है। क्योंकि अस्पताल में मशीनें तो है लेकिन स्पेशलिस्ट डॉक्टर नहीं है । इस वजह से ये जांच प्रभावित हो रही है।
ऐसे में गर्भवती महिलाओं और अन्य मरीजों को बाहर के प्राइवेट लैब से रुपए देकर जांच करवानी पड़ रही है। झुंझुनूं, खेतड़ी और नवलगढ़ तीनों सरकारी अस्पतालों का ही ये हालात है।
झुंझुनूं के बीडीके अस्पताल के पीएमओ डॉ. जितेन्द्र भांबू का कहना है कि सरकार से उम्मीद है कि जल्द ही रेडियोलॉजी प्रोफेसर की नियुक्ति होगी। वहीं नवलगढ़ में भी एक डॉक्टर का रजिस्ट्रेशन पूरा होते ही सेवाएं शुरू कर देंगे।
जिला मुख्यालय झुंझुनूं के बीडीके अस्पताल में फिलहाल दो सोनोग्राफी मशीनें संचालित हैं। इनमें से एक मशीन एमसीएच विंग में लगाई गई है, जो केवल गर्भवती महिलाओं की जांच के लिए है। इसकी जिम्मेदारी गायनेकोलॉजिस्ट को सौंपी गई है। दूसरी मशीन से अन्य रोगियों की जांच होती है। अस्पताल प्रशासन के अनुसार यहां प्रतिदिन लगभग 150 मरीजों को सोनोग्राफी की जरूरत होती है, लेकिन विशेषज्ञ न होने के कारण केवल 70 मरीजों की ही जांच हो पाती है। रेडियोलॉजी प्रोफेसर का पद लंबे समय से रिक्त है, जिससे जांच की गुणवत्ता और समय दोनों प्रभावित हो रहे हैं।
खेतड़ी उप जिला अस्पताल की स्थिति और भी निराशाजनक है। यहां 8 अप्रैल 2021 को सोनोग्राफी मशीन पहुंचाई गई थी, लेकिन चार साल बाद भी यह स्टोर में बंद पड़ी है। विशेषज्ञ की नियुक्ति न होने के कारण अब तक यह मशीन चालू ही नहीं हो पाई। स्थानीय लोगों ने कई बार आवाज उठाई, लेकिन सरकार की चुप्पी अब भी बरकरार है। मजबूरी में ग्रामीण और कस्बे के लोग निजी लैब्स का रुख करने को विवश हैं।
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