राजस्थान में कांग्रेस की हार की वजह : गहलोत की ‘जादूगरी’ पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जादू पड़ा भारी , कांग्रेस को गहलोत - पायलट झगड़ा ले डूबा

फोटो  : फाइल फोटो

जयपुर , 04 दिसम्बर

प्रदेश में पांच साल वाला ट्रेंड कायम रहा । गहलोत का सरकार रिपीट वाला सपना अधुरा ही रह गया और पांच साल वाला ट्रेंड कायम रहा ।  विधानसभा चुनाव 2023 के नतीजों का विश्लेषण करें तो कांग्रेस की हार के कारणों पर नजर डालना जरूरी हो जाता है। एक सीधा सा कारन है वो है गुर्जर समाज ने कांग्रेस को वोट नही किया कारण साफ़ है कि कांग्रेस पायलट को सीएम तो बनाएगी नही .? इसलिए वोट क्यों खराब किया जाये

फिर सवाल यह कि कांग्रेस की तमाम गारंटियों को मतदाताओं ने सिरे से नकार दिया। कह सकते हैं कि अशोक गहलोत की ‘जादूगरी’ पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जादू भारी पड़ गया।विधानसभा चुनाव 2023 के नतीजों का विश्लेषण करें तो कांग्रेस की हार के कारणों पर नजर डालना जरूरी हो जाता है। सवाल यह कि कांग्रेस की तमाम गारंटियों को मतदाताओं ने सिरे से नकार दिया। कह सकते हैं कि अशोक गहलोत की ‘जादूगरी’ पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जादू भारी पड़ गया।

विधानसभा चुनाव के लिए मतदान के परिणाम आने के बाद फिर से एक बार भाजपा और एक बार कांग्रेस को सत्ता मिलने का सिलसिला जारी रहा। पुरानी योजनाओं के साथ नई सात कल्याणकारी योजनाओं की गारंटी पर भी मोदी की गारंटी भारी पड़ी। कांग्रेस के ज्यादातर मंत्री भी चुनाव हार गए।

कांग्रेस ने हार के कारणों का मंथन शुरू किया है, लेकिन कांग्रेस की हार का बड़ा कारण ज्यादातर मौजूदा विधायकों को ही जिताऊ बताकर टिकट रिपीट करना भी रहा है। इसके साथ ही कांग्रेस सरकार के मंत्रियों के प्रति जनता की नाराजगी भारी पड़ी। सरकार बचाने में मदद करने वाले विधायकों को टिकट दिलाते समय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस बात पर गौर नहीं कर पाए कि जनता में मंत्री और विधायकों को लेकर कितनी नाराजगी थी।

अगर हम बात 2013 की करे तो 2013 की तुलना में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर रहा है। 2018 में चुनाव होने के बाद जब कांग्रेस सत्ता में आई थी, तब से ही मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर संघर्ष शुरू हो गया। यह संघर्ष पूरे पांच साल चला। ऐसा समय भी आया जब विधायक दो गुटों में बंटकर होटलों में कैद रहे। बाड़ेबंदी के दौरान मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए कई तरह से राजनीतिक खेल चले। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच हुए विवाद के चलते पार्टी कार्यकर्ताओं में नकारात्मक संदेश गया। कांग्रेस को उम्मीद थी कि पुरानी पेंशन योजना लागू करने और सामाजिक सुरक्षा की योजनाओं के बल पर सत्ता में वापसी हो जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। भाजपा, कांग्रेस के खिलाफ माहौल बनाने में सफल रही।

 

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