एजुटेक सीरिज : अध्याय चतुर्थ : भाग : 01 : अंक 01 : विकास : विकास की विभिन्न अवस्थाए , विकास सतत एवं धीमी प्रक्रिया है, जिसकी चार विशेषताएं हैं

फोटो  : प्रतीकात्मक  ।

नीमकाथाना , 27 अप्रेल
रिपोर्ट  : एजुटेक टीम

पाठकों द्वारा की जा रही मांग पर हमने प्रतियोगी परीक्षाओं के ये अंक विशेष रूप से तैयार किया है। इसके लिए विभिन्न कोचिंग संस्थान, एजुकेशन यु ट्यूब चेनल और शिक्षकगण आगे आये है । अभी हम सोमवार , बुधवार और शुक्रवार ही को ये अंक ला रहे है ।

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                  अध्याय - चतुर्थ ,   भाग -प्रथम  , अंक -1
                                          विकास

                              ( विकास की विभिन्न अवस्थाएं )


विकास की अवस्थाएं | Stage of Development - Notesnew
विकास की प्रक्रिया में वंश कर्म ( जैविक पक्ष ) तथा वातावरण ( सामाजिक पक्ष ) दोनों महत्वपूर्ण है -

अर्थात
विकास =  वंश क्रम × वातावरण   

अर्थात
विकास = परिपक्वता × अधिगम
विकास पूर्व निर्धारित प्रक्रिया है।
विकास शिरोपुच्छिय तथा निकट दूर क्रम में होता है। शिरोपुच्छिय  ( सिर से पैर की ओर )
शिरोपुच्छिय-  cephalocoudal  ( सिफोलो-काॅडल
Or
Head to tail ऊपर से नीचे
शिरोपदाभिमुखी / मस्तकाधोभिमुखी है।

निकट- दूर :- proximo- discal प्रॉक्सिमो - डिस्कल

अंदर से बाहर :-
                       केन्द्र से शिरो की ओर,
केंद्र से परिधि की ओर,
विकास सामान्य से विशिष्ट क्रम में होता है।
 विकास व्यक्तिकता से सामाजिकता की ओर अग्रसर होता है।
विकास के विभिन्न पक्ष अंत: संबंधित हैं।
व्यक्तिकता विभिन्नताए महत्वपूर्ण हैं।
विकास के बारे में भविष्यवाणी संभव है।
विकास पूर्वानुमेय है।
विकास की विभिन्न अवस्थाओं के अपने खतरे हैं।
हरलोक के अनुसार :-
                              विकास सतत एवं धीमी प्रक्रिया है। जिसकी चार विशेषताएं हैं -

1) आकार में परिवर्तन
  2) अनुपात में परिवर्तन
3) पुराने चिन्हों का लोप
 4) नहीं चिन्हों का उदय
Note
विकास में वृद्धि एवं क्षति दोनों शामिल है।
विकास अग्रगामी forwording होता है। किन्तु पश्चगामी  backwording नही होता ।
विकास सामान्य से विशिष्ट होता है।
विकास रेखिय linear नही होता किन्तु वर्तुलाकार spiral होता है।

अवस्था                                 आयु
1) शैशवावस्था infancy      (0-06)
2) बाल्यावस्था childhood( 7-12)
3) किशोरावस्था adolsence(13-19)
शैशवावस्था(0-06):-  विकास की आधारभूत अवस्था है।
- अंतर्मुखी स्वभाव- स्वलीनता (Autism)
- स्वमोह (Narcissism)
- खिलौनों की आयु(Toy age)
NOTE
फ्राइड के अनुसार :- 4-6 वर्ष की आयु में boys मे ऑडीपस तथा
  Girls में इलेक्ट्रा नामक ग्रंथियां विकसित या सक्रिय हो जाती है जिनके कारण लड़का माता के साथ और लड़की पिता के साथ रहना पसंद करते हैं।
बाल्यावस्था:- 7-12 जीवन का निर्माणकारी काल माना जाता है।
यथार्थ से परिचय  Realist approach
संग्रह की प्रवृत्ति पाई जाती है।
बर्हिमुखी स्वभाव होता है।
काम पर्वर्ती न्यून पाई जाती है।
 NOTE
इस अवस्था मे बालक समवयस्क समुह (pear groups) के सक्रिय सदस्य बन जाते है।
छदम परिपक्वता,मिथ्या परिपक्वता, पाई जाती है।
- काॅल बुस-  जीवन का अनोखा काल कहा  है।
बाल्यावस्था के अन्य नाम- दल आयु, समुह आयु, गेम ऐज, गेग ऐज, खेल की आयु।
किशोरावस्था:-12-19
                               जीवन की सबसे कठिन अवस्था teenage किलपेट्रिक ने कहा है।
तीव्र शारीरिक, मानसिक, संवेगात्मक परिवर्तन पाया जाता है।
तूफान की अवस्था कहा है-स्टेनली ने
11- 12 वर्ष की आयु में नसों में जवार उठता है।उसे ही किशोरावस्था पुकारा जाता है। क्रो&क्रो- किशोर वर्तमान तथा भावी जीवन की आशा को व्यक्त करते हैं।
वीर पूजा  Hero warship (आदर्श मानते है। शिक्षक, पापा  )etc
पलायन Escaping ( स्कूल से भागना)
दिवास्वपन fantasy (स्वपन लेते है।)
स्टेनली हाॅल-किशोरावस्था का जनक है। पुस्तक एडोल्सस 1904
प्रबल काम परवर्ती पाई जाती है
विपरीत लिंगी आकर्षण होता है
 समायोजन व स्थिरता का अभाव होता है    
15 वर्ष तक रुचियाँ बदलती है बाद मे स्थाई हो जाती है।

अगला अंक शुक्रवार को । अपनी राय व्हाट्स ऐप्प 9358147558 पर दे सकते है । 

सोर्स :  डिजिटल लायब्रेरी
लेखिका : पी. चौधरी
योग्यता : एमए , बीएड

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