एजुटेक सीरिज : अध्याय -04, भाग - 02 : अंक -01 : पृथ्वी के चारों ओर फैला वायुमंडल अपने भार के कारण पृथ्वी के धरातल पर जो दबाव डालता है उसे वायुमंडलीय दाब कहते हैं

फोटो  : प्रतीकात्मक  ।

जयपुर , 09 मई
रिपोर्ट  : एजुटेक टीम


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     अध्याय -04, भाग - 02 :  अंक -01
                 विषय : भूगोल
                     वायुदाब

वायुमंडल वायु का ढेर है, वायु की राशि है। वायु स्थान को  घेरती है और इसमें भार होता है।

पृथ्वी के चारों ओर फैला वायुमंडल अपने भार के कारण पृथ्वी के धरातल पर जो दबाव डालता है उसे वायुमंडलीय दाब कहते हैं। एक इकाई क्षेत्र पर पड़ने वाला बल दाब कहलाता है। वायुदाब का अध्ययन सबसे पहले ऑटोपोन गैरिक ने किया।

वायु का भार और दाब तापमान के अनुसार बदलते रहते हैं।

वायुदाब को बैरोमीटर नामक यंत्र से मापा जाता है।
इसे मापने की प्रचलित इकाई के kPa मिली बार तथा पास्कल
होती है व्यापक रूप से प्रयोग की जाने वाली इकाई को किलोपास्कल कहते हैं जिसे के kPa द्वारा प्रदूषित किया जाता है।

समुद्र तल पर सामान्य वायुमंडलीय दाब लगभग 76 सेमी. hg या 1013.25 मिली बार होता है।

समदाब रेखा :- यह वह कल्पित रेखा होती है जो सागरतल पर सम्मान वायुदाब वाले स्थानों को मिलाती है ।

पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के प्रभाव से जो वायु केंद्र के निकट होगी उसका दबाव उतना ही अधिक होगा । ध्रुवीय प्रदेश पृथ्वी के केंद्र से अधिक निकट होने के कारण वायुदाब अधिक रहता है और विषुवत रेखा पर वायुदाब पृथ्वी केंद्र से दूर रहती है अतः इसके कारण वहां वायुदाब कुछ कम रहता है।

वायुमंडलीय दाब ऊंचाई के बढ़ने के साथ-साथ घटता जाता है पास्कल ने सर्वप्रथम इसके बारे में 1643 में बताया था ।

                                                 वायुदाब पेटियां

विषुवतीय निम्न वायुदाब पेटी: विश्वत रेखा के दोनों ओर 5 डिग्री अक्षांश उत्तर इस पेटी का विस्तार पाया जाता है। यह तापजन्य पेटी है। इन 4 देशों में अत्यधिक गर्मी के कारण हवा गर्म तथा हल्की होकर ऊपर उठती है भूमंडल पर वायु की गति मंद होती है अत्यधिक निम्न वायुदाब और शांत वायुमंडलीय दशाएं इस बेटे की विशेषताएं हैं इस कारण इसे डोलड्रम भी कहा जाता है।

 उपोषण कटिबंधीय उच्च वायुदाब पेटी: इसका विस्तार दोनों गोलार्ध ओके 30 से 35 अक्षांशों के बीच पाया जाता है यह एक गति जिन्हें पेटी है । इस पेटी का उच्च वायुदाब तापमान से संबंधित नए होकर पृथ्वी की दैनिक गति तथा वायु के दबाव से संबंधित है।
इस पेटी को अश्व अक्षांश भी कहा जाता है।

उपध्रुवीय निम्न वायुदाब पेटी:-

दोनों ग़ुलार्द्धों में 60 से 65 डिग्री अक्षांश रेखाओं के मध्य पाई जाती है यह गतिज ने बेटी है अक्षांश में तापमान कम होने पर भी निम्न वायुदाब का कारण पथरी घूर्णन गति है।

ध्रुवीय उच्च वायुदाब पेटी:-

उत्तरी व दक्षिणी ध्रुव के चारों ओर फैली हुई है। ध्रुवों पर कठोर सर्दी पड़ती है । न्यून तापमान के कारण वर्षभर इस उच्च वायुदाब पेटी का निर्माण होता है । इसलिए यह एक तापजन्य पेटी है।

वायु राशियां:-

वायु राशियां से वायुमंडल का वह विस्तृत भाग है जिनमें भौतिक गुणों विशेषत: तापमान और आर्द्रता संबंधी लखनऊ में सिटी। चैनल तल मैं लगभग समानता पाई जाती है इस प्रकार वायु राशियां वायु का ऐसा विशाल पुंज है जो हजारों किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है।

वाताग्र:
तापमान, आद्रता तथा घनत्व गुणों में भिन्नता वाली दो वायु राशियां जब एक दूसरे के निकट आती हैं तब उनका विलय एक दूसरे में नहीं हो पाता है। ये एक  दूसरे से ढलुवाँ पृष्ठ  प्रदेश से पृथक रहती है। यह ढलुवाँ सिमा प्रेदश जो दो विभिन्न स्वभाव वाली वायु राशियों को एक दूसरे से पृथक करता है उसे वाताग्र की संज्ञा दी जाती है।


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सोर्स :  डिजिटल लायब्रेरी
लेखिक : कमलेश जाट
योग्यता : बी ए , बीएड,

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