मंगल ग्रह पर पानी की मौजूदगी के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी

नीमकाथाना , 6 नवम्बर 2020
किशोर सिंह लोचिब की रिपोर्ट

आज विश्वभर के वैज्ञानिक पृथ्वी के अतिरिक्त भी अन्य गृह पर जीवन की तलाश में जुटे है, इस मुहीम में भारतीय वैज्ञानिक भी पीछे नही । अमेरिका के वैज्ञानिक भीअन्य गृह पर जीवन की तलाश में जुटे हुए है ।साल 2012 में अफ्रीका के सहारा रेगिस्तान से दो उल्कापिंड मिले थे। पिछले आठ सालों से वैज्ञानिक इन पर अध्ययन कर रहे थे । अब जाकर पता चला है कि ये उल्कापिंड मंगल ग्रह के हैं । ये कई अलग-अलग प्रकार की चट्टानों के मिश्रण से बने है । वैज्ञानिकों के मुताबिक इनके अध्ययन से ये भी पता चला है कि मंगल पर 4.4 अरब साल पहले पानी मौजूद था और ये भी माना जा रहा है कि इस खोज से वैज्ञानिकों को इस सवाल का जवाब मिल सकता है कि आखिर ग्रहों पर पानी आता कहां से है । अगर वैज्ञानिक इसमें सफल हुए तो जीवन की खोज के सिद्धांतों के बारे में नई थ्योरी सामने आ सकती है ।

पानी के बारे में जानकारी -

जो दो उल्कापिंड मिले थे, उन्हें NWA 7533 और NWA 7034 नाम दिया गया था । इनके अध्ययन कर रही टीमों का कहना है कि ये बेहद दुर्लभ हैं । NWA 7533 उल्कापिंड की स्टडी करने वाली टीम में शामिल टोक्यो यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ताकाशी मिकोची की रिपोर्ट साइंस एडवांस नाम के जर्नल में प्रकाशित हुई है । इसमें मिकोची ने बताया कि एनडब्ल्यूए 7533 पर चार अलग-अलग तरह के स्पेक्ट्रोस्कोपिक और रासायनिक परीक्षण किए गए, जिनसे काफी रोचक बातें सामने आईं हैं वैसे तो पिछले काफी लंबे वक्त से माना जाता रहा है कि मंगल पर पानी मौजूद था । लेकिन अब इस उल्कापिंड का अध्ययन करके मिकोची और उनकी टीम ने दावा किया है कि लाल ग्रह पर 4.4 अरब साल पहले पानी की मौजूदगी थी । इसके बारे में मिकोची ने कहा कि उल्कापिंड मैग्मा से बनते हैं । आमतौर पर ऐसा ऑक्सीकरण के कारण होता है । यह ऑक्सीकरण तभी संभव है. जब मंगल की परत पर उस दौरान पानी मौजूद रहा होगा. और यह समय 4.4 अरब साल या उससे पहले का था ।

सूक्ष्म जीवों के भी संकेत मिले हैं

नासा के क्यूरियोसिटी रोवर ने 2019 में जो डेटा भेजा था, उससे मंगल ग्रह की हवा में मीथेन की उच्च मात्रा का पता चला था । पृथ्वी पर ये गैस जिंदा जीवों द्वारा उत्सर्जित होती है । ऐसे में मंगल पर इसके मिलने से अंदाजा लगाया गया कि वहां पर भी सूक्ष्मजीवों की उपस्थिति हो सकती है। हालांकि इस बारे में अधिक जानकारी के लिए नासा अध्ययन कर रहा  है ।

मंगल में दुनिया की इतनी दिलचस्पी क्यों है

मंगल की संरचना काफी हद तक पृथ्वी से मिलती-जुलती है । यही कारण है कि मंगल को लेकर वैज्ञानिकों में काफी दिलचस्पी रहती है।अमेरिका, भारत, चीन और यूएई समेत कई देशों में मंगल को लेकर अध्ययन किया जा रहा है। यूरोप और रूस भी साल 2022 में मंगल मिशन लॉन्च करने की योजना बना रहे हैं ।

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