फोटो :फाइल फोटो
जयपुर , 26 अगस्त 2024
राजस्थान में इस बार जनगणना 50 जिलो के लिए होगी और पूर्ववर्ती गहलोत सरकार में बने 17 नए जिले और 3 संभागो में किसी तरह के बदलाव के आसार कम ही दिखाई देते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि नए जिलों की समीक्षा के लिए बनी कमेटी की रिपोर्ट आने से पहले ही जनगणना निदेशालय ने राज्य की प्रशासनिक सीमाएं सील कर दी हैं।
बता दे कि भारत में हर 10 साल बाद जनगणना होती है लेकिन कोरोना के कारण 2020 में जनगणना नही हो पाई थी।जिसके बाद यह लगातार आगे खिसकती रही है । अब आगामी सितंबर से जनगणना शुरू होने की संभावना है। ऐसे में जनगणना पूरी होने तक प्रदेश में कोई भी नया गांव, तहसील, जिला, नगरपालिका न तो बनाए जा सकते हैं और न ही उनमें कोई बदलाव कर सकते हैं।
इधर, पूर्व IAS ललित के पंवार की अध्यक्षता में बनी कमेटी 30 अगस्त को अपनी रिपोर्ट सौंपने वाली है। रिपोर्ट आने के बाद भी राज्य सरकार इसमें कोई फेरबदल नहीं कर सकेगी। हालांकि राज्य सरकार ने रोक हटाने के लिए जनगणना निदेशक को पिछले दिनों चिट्ठी लिखी है।
राज्य सरकार के इस पत्र को जनगणना निदेशालय ने रजिस्ट्रार जनरल को भेज दिया। अभी इस पर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है। प्रशासनिक यूनिट की बाउंड्री फ्रीज का फैसला जनगणना को देखते हुए रजिस्ट्रार जनरल ने देश भर के लिए किया है। ऐसे में एक राज्य को छूट मिलना आसान नहीं है। सितंबर में जनगणना के लिए प्रोसेस शुरू होने के आसार हैं। इसलिए नए जिलों से लेकर गांव, तहसील की बाउंड्री फ्रीज से लगी रोक हटने की संभावना कम है।
भजनलाल सरकार ने रिव्यू के लिए 12 जून को उपमुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा के संयोजन में एक मंत्रिमंडलीय उप-समिति गठित की थी। मंत्रिमंडलीय उप समिति के सहयोग के लिए पंवार की अध्यक्षता में एक और कमेटी गठित की थी। कमेटी को 31 जुलाई तक रिपोर्ट देनी थी। बाद में सरकार ने एक महीने कार्यकाल और बढ़ा दिया था।
ललित पंवार कमेटी की रिपोर्ट पर कैबिनेट सब कमेटी विचार करेगी। इसके बाद अपनी सिफारिशों के साथ रिपोर्ट देगी। गहलोत राज में 17 नए जिले बने थे। फिलहाल राज्य में 50 जिले हैं। अगर राज्य सरकार गहलोत राज के कुछ जिलों को खत्म करने या मर्ज करने पर फैसला करती है तो उसे लागू नहीं कर पाएगी।
जनगणना तक बदलाव संभव नहीं :-
प्रदेश में जब भी कोई भी नया गांव, तहसील, नया जिला या नई नगरपालिका सहित कोई भी प्रशासनिक यूनिट बनती है या उसकी बाउंड्री में कोई बदलाव होता है तो उसकी सूचना तत्काल जनगणना निदेशालय को दी जाती है। प्रशासनिक यूनिट बनाने, खत्म करने, मर्ज करने या बाउंड्री में बदलाव करने से जुड़े हर नोटिफिकेशन की एक कॉपी जनगणना निदेशालय को भेजी जाती है।
जानकारों का कहना है कि अगर जनगणना सितंबर में शुरू हो जाती है तो फिर जिलों की सीमाओं में फेरबदल संभव नहीं है। जनगणना निदेशालय के पास अभी 50 जिलों और उनकी बाउंड्री में आने वाले हर गांव का डेटा अपडेट है। सितंबर में जनगणना का प्रोसेस शुरू हुआ तो इनके आधार पर ही प्रशासनिक यूनिट मानकर होगी। ऐसा होने पर जनगणना की प्रक्रिया पूरी होने तक इनकी बाउंड्री में कोई बदलाव नहीं हो सकेगा।
भाजपा विधायक - सांसदों ने जताई आपत्ति :-
अब तक पंवार कमेटी के सामने 35 से ज्यादा बीजेपी विधायक और 4 सांसद नए जिलों पर आपत्ति जता चुके हैं। बीजेपी विधायकों के अलावा कई सामाजिक संगठनों ने भी पंवार कमेटी को ज्ञापन देकर जिलों की सीमाओं में बदलाव करने की मांग की है। विधायकों ने छोटे जिलों को नए जिलों में मर्ज करने का भी सुझाव दिया है।
डिप्टी सीएम बैरवा दुविधा में :-
डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा की अध्यक्षता में बनी कैबिनेट सब कमेटी गहलोत राज के जिलों के बारे में फैसला करेगी। बीजेपी विधायकों ने जिन जिलों पर आपत्ति जताई उनमें दूदू भी एक है। दूदू जिले में केवल दूदू, मोजमाबाद और फागी का इलाका है, जो सबसे छोटा है। एक उपखंड से छोटे इलाके को जिला बनाने पर सवाल उठाए गए थे।
अब प्रेमचंद बैरवा को अपनी विधानसभा सीट के जिले को खत्म करने या बरकरार रखने पर फैसला करना होगा। बैरवा के लिए यह दुविधा वाला काम होगा, क्योंकि अगर उनकी कमेटी दूदू जिले को खत्म कर जयपुर में मर्ज करने की रिपोर्ट देती है तो जनता की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है।
दुदू के लोगो ने पहले ही बैरवा को अल्टीमेट दे रखा । ऐसे में बैरवा दुदू को ख़त्म करने का फैसला करेंगे तो आगे से उन्हें चुनाव में हार का ही सामना करना पड़ सकता है ।
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