फोटो :फाइल फोटो
जयपुर , 30 अगस्त 2024
नए जिलों को लेकर गठित समिति ने शुक्रवार को अपनी अपनी रिपोर्ट पेश कर दी । राज्य की भजनलाल सरकार ने सेवानिवृत्त IAS ललित के. पंवार की अध्यक्षता में समिति गठित की थी। जिसने आज अपने तय और रिकॉर्ड समय में अपनी रिपोर्ट सौंप दी है । कमेटी अध्यक्ष ललित के. पंवार ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है ।
अब इस रिपोर्ट के आधार पर मंत्री मंडलीय उप समिति अपनी रिपोर्ट तैयार कर सरकार को देगी । जिसे कैबिनेट में रखा जायेगा और जिसके आधार पर सरकार नए जिलो को समाप्त करने या बनाए रखने का निर्णय करेगी ।
बता दे कि बीजेपी ने गहलोत सरकार में जाते-जाते नए जिले बनाने पर सवाल उठाए थे। कई छोटे जिलों को लेकर स्थानीय लोगों ने भी विरोध किया था। उस वक्त बीजेपी ने सरकार में आने पर गहलोत सरकार में बने जिलों का रिव्यू करवाने की घोषणा की थी।
प्रदेश की भजनलाल सरकार ने गहलोत सरकार में बने 17 नए जिलों और 3 नए संभागों की समीक्षा करवाने के लिए उप मुख्यमंत्री प्रेम चंद बैरवा के संयोजन में कैबिनेट सब कमेटी बनाई थी। इस कैबिनेट सब कमेटी में उद्योग मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़, पीएचईडी मंत्री कन्हैयालाल चौधरी, राजस्व मंत्री हेमंत मीणा और जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत को सदस्य बनाया गया है।
गहलोत राज में अनूपगढ़ ,गंगापुर सिटी, कोटपूतली, बालोतरा, जयपुर शहर, जयपुर ग्रामीण, खैरथल, ब्यावर, नीमकाथाना, डीग, जोधपुर शहर, जोधपुर ग्रामीण, फलोदी, डीडवाना, सलूंबर , दूदू, केकड़ी, सांचौर और शाहपुरा को जिला बनाया गया था । वही बांसवाड़ा, पाली और सीकर को संभाग बनाया था।
6 से 8 आठ जिलो पर आपत्ति :-
समिति ने सभी नवगठित जिलो का दौरा किया । इस दौरान विधायको और सांसदों ने भी नए जिलो को बनाए रखने या समाप्त करने को लेकर अपनी राय दी है। सूत्रों के अनुसार समिति को दुदू , खैरथल , केकड़ी , अनूपगढ़ और डीग सहित 6 से 8 जिलो को पुराने जिलो में विलय करने का सुझाव मिला है ।
संभागो पर आपत्ति नही :-
सूत्रों के अनुसार जहाँ भाजपा विधायको ने नए जिलो को लेकर आपत्तियां दी है तो संभागो को को लेकर ऐसा नही देखा गया है । ऐसे में सम्भावना है कि सरकार संभागो को लेकर कोई निर्णय नही लेगी । अगर कुछ जिले कम भी होते है तो भी संभाग बने रह सकते है ।
नए जिले बनाने को लेकर सुझाव :-
सूत्रों के अनुसार समिति को लगभग 32 से ज्यादा नाम नए जिलो को लेकर मिले है । जानकारों का कहना है कि जिलो की संख्या कम होने की सम्भावना कम ही है क्योंकि अगर कुछ जिलो को समाप्त भी करती है तो भी कुछ नए जिले बनाए जा सकते है ।
जनगणना तक बदलाव संभव नहीं :-
प्रदेश में जब भी कोई भी नया गांव, तहसील, नया जिला या नई नगरपालिका सहित कोई भी प्रशासनिक यूनिट बनती है या उसकी बाउंड्री में कोई बदलाव होता है तो उसकी सूचना तत्काल जनगणना निदेशालय को दी जाती है। प्रशासनिक यूनिट बनाने, खत्म करने, मर्ज करने या बाउंड्री में बदलाव करने से जुड़े हर नोटिफिकेशन की एक कॉपी जनगणना निदेशालय को भेजी जाती है।
जानकारों का कहना है कि अगर जनगणना सितंबर में शुरू हो जाती है तो फिर जिलों की सीमाओं में फेरबदल संभव नहीं है। जनगणना निदेशालय के पास अभी 50 जिलों और उनकी बाउंड्री में आने वाले हर गांव का डेटा अपडेट है। सितंबर में जनगणना का प्रोसेस शुरू हुआ तो इनके आधार पर ही प्रशासनिक यूनिट मानकर होगी। ऐसा होने पर जनगणना की प्रक्रिया पूरी होने तक इनकी बाउंड्री में कोई बदलाव नहीं हो सकेगा।
खबर अपडेट हो रही
खबरों के लिए सिर्फ हिंदुस्तान डिजिटल न्यूज़, व्हाट्स ऐप्प No. 9358147558
Leave a Comment