वीडियो एक्स्क्लूसिव : गहलोत राज में बने बड़े जिले रह सकते हैं बरकरार : 5-6 छोटे जिलो का खत्म होना तय, उपचुनाव के बाद रिव्यू कमेटी की रिपोर्ट पर होगा फैसला, सियासी विवाद होना तय

फोटो  :फाइल फोटो 

जयपुर , 01 नवंबर 2024

पूर्ववर्ती गहलोत सरकार  में बने जिलों की समीक्षा के लिए बनी मंत्रियों की कमेटी ने काम लगभग पूरा कर लिया है। उपचुनाव के बाद कमेटी सरकार को रिपोर्ट सौंपेगी। सरकार नवंबर के अंत तक गहलोत राज के छोटे जिलों को खत्म करने या बरकरार रखने पर फैसला करेगी।

जानकार सूत्रों का कहना है कि मंत्रियों की कमेटी का भी मानना है कि मापदंडों को पूरा नहीं करने वाले जिलों को मर्ज कर देना चाहिए। वही दीपावली से एक दिन पहले कमेटी में शामिल मंत्री से एक निजी टीवी चैनल ने अपने कार्यक्रम में SI भर्ती सहित नए जिलो पर सवाल किया था । जिस पर मंत्री ने साफ जवाब दिया था कि सभी पहलुओ पर गौर किया गया है ।

बता दे कि रिव्यू कमेटी में शामिल कई मंत्रियों ने इस तरह के संकेत दिए हैं। पूर्व आईएएस ललित के पंवार कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर मंत्रियों ने हर जिले पर अपनी राय दी है। जो जिले मापदंड पूरे कर रहे हैं, जहां जनसंख्या और क्षेत्रफल ज्यादा है, लोगों की सुविधा के लिए जिला बनना जरूरी है। उन जिलों को बरकरार रखने की सिफारिश होगी।

इन पर लटकी तलवार:-
गहलोत राज के दौरान बनाए गए छोटे जिलों में दूदू, सांचौर, गंगापुर सिटी, शाहपुरा और केकड़ी को लेकर सवाल उठे थे। इन जिलों के इलाके बहुत छोटे हैं। उपखंड जितना ही इलाका है। इन्हें जिले बनाने पर विपक्ष में रहते हुए बीजेपी ने भी खूब सवाल उठाए थे। रिव्यू कमेटी में शामिल मंत्रियों ने भी कहा था कि विधानसभा क्षेत्र जितने इलाकों को जिला बना दिया। इस हिसाब से 200 जिले बनाने पड़ेंगे। मंत्रियों की कमेटी ने रिपोर्ट में हर जिले पर अपनी सिफारिश देगी।

बदलना पड़ा संयोजक :-
रिव्यू कमेटी के संयोजक पहले डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा थे। बैरवा दूदू से विधायक हैं। दूदू को जिला बनाने पर पहले भी सवाल उठे थे। रिव्यू कमेटी दूदू को मर्ज करने पर सिफारिश कर सकती है। दूदू पर फैसले से पहले बैरवा को संयोजक पद से हटाकर शिक्षा मंत्री मदन दिलावर को इसकी जिम्मेदारी दी गई। रिव्यू कमेटी के संयोजक बदलने से इस बात के साफ संकेत मिल गए कि दूदू को मर्ज किया जा सकता है।

हो चुके धरने प्रदर्शन:-
गहलोत राज के छोटे जिलों को खत्म करने पर मंत्रियों की कमेटी की रिपोर्ट आने से पहले ही उन जिलो से एसपी हटाने पर खूब विरोध हो चुका है। गंगापुर सिटी, सांचौर सहित कई जगहों पर कांग्रेस नेताओं ने सितंबर में धरने प्रदर्शन किए थे। गहलोत राज के दौरान बने छोटे जिले खत्म करने पर आगे भी सियासी विवाद होना तय है।

31 दिसंबर से पहले करना होगा फैसला:-
सरकार को छोटे जिलों को मर्ज करने और पुनर्गठन का फैसला 31 दिसंबर से पहले करना होगा। 31 दिसंबर तक ही जनगणना रजिस्ट्रार जनरल ने जिलों से लेकर उपखंड, तहसील व नए गांव बनाने और उनकी बाउंड्री बदलने की छूट दे रखी है।

1 जनवरी 2025 से नई प्रशासनिक यूनिट बनाने और प्रशासनिक यूनिट की बाउंड्री बदलने पर रोक लग जाएगी। पहले 1 जुलाई से सीमाएं फ्रीज थीं। सीएम भजनलाल शर्मा ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को लेटर लिखकर छूट मांगी थी। इसके बाद में बजट में जिले, तहसील, उपखंड और गांवों के गठन की छूट दी थी। जनगणना रजिस्ट्रार जनरल ने देश भर में नई प्रशासनिक यूनिट बनाने पर लगी रोक को 31 दिसंबर तक हटाने का फैसला किया था। वही 2025 से 2026 के मध्य जनगणना प्रस्तावित है ।

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