समाज के लिए समर्पित शख्सियत : माता - पिता थे अनपढ़ लेकिन बेटा मेहनत के बूते बना दानवीर और समाजसुधारक , खुद्दार पाबूराम गिठाला ने पाया नया मुकाम

फोटो  :फाइल फोटो 

किशनगढ़ , 21 नवंबर 2024         
रिपोर्ट : किशोर सिंह लोचिब / महेंद्र सिंह खोखर

कुछ शख्सियत परिचय की मौहताज नही होती है । उन्ही में से एक है जिन्होंने झौंपङी से निकलकर  जीवन की कठिनाईयों को मुट्ठी में बंद कर सफलता की नई इबारत गढने का कार्य किया  है । फिर भी सादगी इतनी की अपना जीवन खुद के लिए कम और समाज तथा गरीबों के लिए ज्यादा समर्पित । उनका नाम है पाबूराम गिठाला। जिनके माता-पिता तो अनपढ थे । लेकिन इन्होने हार नही मानी ।

कक्षा 8वी के पश्चात अकाल राहत कार्यों में मजदूरी करके दक्षिण भारत गये और स्नातक पूर्ण की । मगर जन्मभूमि का मोह फिर नागौर खींच लाया । उस समय मार्बल मंडी किशनगढ के लिए यही कहा जाता था कि यहां केवल बणिये ही सेठगिरी करते है और जाट मजदूर रहते है । यह बात दिमाग में बिठा ली की जाट कौन है और क्या कर सकता है । अपनी मोटरसाइकिल 18000 में बेचकर अपना गौदाम लगा लिया । धमकियां मिली, लठेतों से सामना हुआ मगर जाट जो ठहरा। डटा रहा सीना ताने और देखते ही देखते सब पस्त हो गये । अपनी मेहनत व लगन से किशनगढ मार्बल एशो. के कौषाध्यक्ष बने। ना कभी खाया ना किसी को खाने दिया । मुसीबतें अब भी काफी थी । अपने ही समाज के लोग नीचा दिखाने में जुट गये मगर ये भी शिवभक्त ठहरे । झुकना नहीं सीखा था ।
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एक नजर दानवीरता पर:-
महिला शिक्षा पर इनकी सोच काफी मुखर है । सम्पूर्ण राजस्थान मुख्यत: मारवाड क्षेत्र में आपने बालिका छात्रावासों के लिए काफी धन दिया है तथा कक्ष बनवाये है । जिसका एक उदाहरण वीर तेजा महिला शिक्षण एवं शोध संस्थान, तेजास्थली, मारवाड़ मूँडवा, (नागौर) है । जहां 800 से ज्यादा हर तबके की बालिकाएँ अपना भविष्य निर्माण कर रही है । जिसमें आपकी तरह सैंकड़ों भामाशाओं द्वारा अनवरत सहयोग दिया जा रहा है ।
सैंकडो निर्धन महिलाओं को जीवनयापन तथा कामकाज के लिए प्रोत्साहित करने हेतु सीलाई मशीनें भेंट कर चुके हैं ।

जगह-जगह चिकित्सा कैंप लगाकर गरिबों को दवा वितरण, रक्तदान आदि करवाते है । साथ ही साथ गरीब किसानों का ईलाज महंगे अस्पतालों में अपने खर्चे पर करवाते हैं । राजस्थान व तमिलनाडु में हर जाती व हर तबके के लोगों के होने वाले सामूहिक विवाह समारोह में बढ-चढ कर योगदान दिया है तथा स्वंय आयोजन भी करवाये हैं ।

जाट समाज द्वारा प्रकाशित होने वाली पत्र पत्रिकाओं को विज्ञापन के बहाने हजारों रूपये आर्थिक सहयोग में देना । समस्त मार्बल एशो. को साथ लेकर 21 करोड़ की लागत का मार्बल सीटी हॉस्पिटल बनवाया जो non profit पर चलता है तथा 12 करोड़ का ऑडीटोरियम निर्माण । तेजा फाऊंडेशन के संरक्षक होने के साथ साथ आपने जयपुर में अपना मकान कोचिंग सुविधा हेतू मुफ्त में प्रदान किया है।

इसके अलावा अजमेर शहर के मध्य अपनी 5 करोड़ कीमत की 2 बिघा जमीन को तेजा फाउंडेशन ट्रस्ट के लिए हाल में दान दी है। ताकी गरीब जाट परिवारों के बच्चे मुफ्त में यहां सीविल सेवा की तैयारी कर सके। 2 बिघा जमीन तेजा फाउंडेशन ट्रस्ट को दान ।

तेजा फाऊंडेशन ट्रस्ट डीड:-
तेजा ग्रूप्स के चैयरमेन, दानवीर पाबूराम जी चौधरी ने अपनी दो बीघा जमीन जो कि मदसवि,अजमेर के नजदीक लगभग 4-5 करोड़ कीमत की जमीन को विधिवत रूप से 'तेजा फाऊंडेशन ट्रस्ट' को दान कर दी है। रजिस्ट्री का काम पूरा कर दिया गया है। अजमेर जिले के जागरूक जाट बुद्धिजीवियों, समाजसेविकों की मदद से जल्द ही भवन निर्माण का कार्य शुरू करवा दिया जायेगा। जो भी समाजसेवक अपनी तरफ से सहयोग करना चाहे तो 51000/- की राशी ट्रस्ट में लगाकर सदस्य बन सकता है। 500 सदस्य पूरे होने पर चुनाव के माध्यम से अध्यक्ष पद पर एक योग्य व्यक्ति को कमान दी जायेगी।

पाबूराम चौधरी ने अपनी तरफ से समाज को एक अनमोल माध्यम दे दिया। अब समाज इस माध्यम को किस प्रकार उपयोग में लेगा यह समाज को सोचना है। अगर यह सपना हकीकत में बदल गया तो जिस प्रकार आज जयपुर में समाज के 60-70 युवा भविष्य के आरएएस बनने को अग्रसर हैं उसी भांति अजमेर व आस पास के जिलों के गरीब व मध्यम जाट परिवारों के होनहार हीरे जो महंगी फीस देने में असमर्थ हैं, वे यहां फ्री में अध्ययन कर समाज को गौरवान्वित करेंगे।

पुरस्कार व सम्मान:-

जाट, ब्राह्मण, माली आदि समाजों द्वारा सामूहिक विवाह सम्पन्न करवाने के लिए कई बार सम्मानित । राजस्थान और  तमिलनाडु में दानवीरता पुरस्कार से सम्मानित । अनाथ आश्रयों, वृद्ध शालाओं व विधालयों में कमरे निर्माण करवाने पर सैंकड़ों बार सम्मानित । लायंस क्लब द्वारा समाजसेवा में सम्मानित । भारत विकास परिषद् द्वारा दानवीरता पुरस्कार । कई समाजों द्वारा इन्हे जन विकास पत्रिका चलाने पर सम्मानित ।

इसके साथ ही अप्रैल 2011 में राष्ट्रीय एकता, अखंडता, व जनसेवा सम्मान । जाट बंधू द्वारा 2011 में प्रतिभा प्रशस्ती सम्मान । 15 मार्च 2009 को सामाजिक सेवा का सामाजिक पुरस्कार ।

वर्तमान पद:-
मार्बल एसोसिएशन किशनगढ के संरक्षक तथा वीर तेजा महिला शिक्षण व शोध संस्थान, तेजास्थली मारवाड मूंडवा (नागौर) के वरिष्ठ उपाध्यक्ष है । (इस संस्थान के अध्यक्ष श्रीमान सी.आर.चौधरी साहब के नागौर सांसद निर्वाचित होने के कारण अध्यक्ष पद आपको दिया जा सकता है ।

वर्तमान में जाट युवाओं का ज्यादा से ज्यादा सरकारी सेवाओं में चयन करवाने के उद्देश्य के तहत गठित संस्था 'तेजा फाउंडेशन' के आप संस्थापक व संरक्षक पद पर सुसोभित है।

मेरे पास दानवीर पाबूराम चौधरी जी की जन्म से लेकर अब तक की पूरी कहानी मौजूद है। कहते है ना कि "कोशिश करने वालों की हार नहीं होती ।" इस बात का जीता- जागता उदाहरण पाबूरामजी जैसे समाजसेवी है । एक साधारण व गरीब किसान के घर से जिंदगी का सफर शुरू कर इस मुकाम पर पहुंचकर बेशक इन्होंने अपनी योग्यता व मेहनत का लौहा मनवा लिया । इनके जीवन का एक ही मूलमंत्र है कि - " ना झुको और ना झुकाओ । " समस्त जाट समाज को चौधरी साहब पर नाज है । तेजाबाबा आपका घर-बार धन धान्य से भरा रखे ताकि आप इसी तरह समाज व गरीबों की नि:स्वार्थ सेवा कर सके ।

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साऊथ अफ्रिका में बढते कदम:-
वर्ष 2018 में चौधरी ने साऊथ अफ्रिका महाद्वीप के इथोपिया देश में मार्बल माईंस हेतू जमीन खरीद देश के सफलतम मार्बल व्यवसायी के रूप में अपना नाम दर्ज करवाया। उसके बाद युगांडा में भी तेजा ग्रूप्स के नाम को शिखर पर पहुंचामे का कार्य किया।

तेजा फाऊंडेशन जयपुर के कर्णधार:-
वर्ष 2017 में जाट समाज के गरीब ग्रामीण बच्चों को सीवील सर्विसेज की तैयारी करवाने हेतू इस फाऊंडेशन का गठन किया गया। शुरूआती दौर की तमाम कठिमाईयों को आपने अपने ऊपर ले इस फाऊंडेशन को खडा करने में अपना अमूल्य योगदान दिया। आज भी इस फाऊंडेशन को किसी न किसी रूप में आर्थिक मजबूत दे जाट समाज के बच्चों का भविष्य उज्ज्वल बनाने मे अपना असीम योगदान दे रहे हैं।

उन्ही की कहानी उन्ही के शब्दों में :-

पाबूराम चौधरी  गिठाला ने बताया कि जाट समाज के लड़के - लड़कियां काबिल हो कर भी पीछे रह जाते है जिससे जाट समाज मजबूत नहीं होता और आगे नहीं बढ़ पाता यह समाज की विडंबना थी । यह बुराई खत्म करने के लिए मैने सिर उठाया । मेरे पैरंट्स सामूहिक परिवार मै रहते थे जब मै पांचवी क्लास पास की गांव से तब समझ आया तब मैं आठ साल का था ।

मेरा परिवार सक्षम था आस पास के गांवों मै भी उस जमाने मै दादाजी ओर तीन अंकल सरकारी नौकरी में थे । लंबी चौड़ी ज़मीन थी उसको मेरे पिताजी देखते  थे।  सामूहिक  परिवार मै बच्चों के साथ भेदभाव को लेकर मै देखता जब पांचवी पास की तो चाचावो के लड़कों का ऐडमिशन डेगाना नागौर मै करवा दिया और मेरा ऐडमिशन नहीं करवाया गया । कही  पर  बोले डेगाना गच्छीपुरा स्कूल मै इसका एडमिशन नही करवाएंगे बदमाश है । हमारे बच्चों को खराब करेगा इसको खेत में काम लगा दो दादाजी को यह शब्द बोले मैने सुन लिया । मैने दादाजी को बोला मुझे पढ़ना है मैं खेत मै नहीं जाऊंगा ।

गर्मी की छुट्टियों के बाद स्कूले खुल गई । सब बच्चे स्कूल जाने लगे मै घर बैठा रहता मां बाप सब खेती का काम करने चले जाते मै अकेला घर पर बैठा रहता । एक दिन मां खेत नहीं घर रुक गई । मां ने 100 रूपये दिए बोला अपने ननिहाल की साइड मै कितलसर बड़ा गांव है।  वहा बड़ी स्कूल है वहा जाकर स्कूल मै भर्ती हो जा।  मै दूसरे दिन टीसी ले कर चला गया और एडमिशन ले लिया । ढाणी से नो किलोमीटर दूर बिना स्कूल ड्रेस ओर किताबों के स्कूल जाने लगा तो मास्टरों ने टोका । मैने बोला मेरे पास पैसा नहीं है घर वाले देते नहीं और  पढाना ही नहीं चाहते तो स्कूल द्वारा मुझे सब दिया गया । उसके बाद मैने पीछे मुड़कर नहीं देखा ननिहाल मै जाकर पढ़ना शुरू कर दिया फिर कॉलेज मै एडमिशन ले लिया ।

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उन्होंने आगे बताया कि अकाल राहत कार्यों मै मजदूरों का हाजरी रजिस्टर आदमी के रुप मै मजदूरी करता 80 रुपए दिन की दहाड़ी में  मजदूर के रूप मै तीन महीना फिर कॉलेज चले जाता।  कॉलेज से बीकॉम किया तो गांव मै  लोगो ने बोला बीकॉम तो बनियों के छोरे करते है । जाट तो आर्ट्स मै पढ़ाई करते है तो मैं उस्मानिया यूनिवर्सिटी ऑफ हैदराबाद जा कर दो साल मै B,A, की डिग्री ली । वापिस गांव आ गया । घर वालों ने बोला कोई नौकरी का फार्म भर नौकरी लग जा ।

उस दिन मैने विधिवत घोषणा कर दी कि नौकरी नहीं करूंगा मै व्यापार करूंगा । परिवार वालो ने बोला - पैसा कौन देगा मैने कहा मै कमाऊंगा और इकठ्ठा करूंगा । अकाल राहत कार्यों से सड़के बनती उन पर सुपर वाइजर लग गया । 4-  5महीना पैसा कमा कर बुलेट मोटर साइकल ले ली । एक साल बाद मोटर साइकल बेच कर किशनगढ़ मै पहला जाट मार्बल का व्यापार शुरू किया।  कई मुसीबतों का सामना किया परंतु रुका नहीं भारत सरकार  को 46 ,47 लाख सालाना incomtax भरना शुरू कर दिया । 10  साल बाद ही एशिया की सबसे बड़ी मार्बल मंडी बना गई उसमे भी 70% जाट और कई और किसान कोमो से व्यापारी बन गए फिर मैने साउथ इंडिया मै ग्रेनाइट की फैक्टरी लगाई और जाट लोगो को हर स्टेट मै मार्बल ग्रेनाइट के शोरूम ओपन करवाना शुरू किया । फिर गल्फ कंट्री में दुबई शारजाह पूजेरहा यूएई फिर ओमन बहरीन सऊदी अरब अब अफ्रीकन देशों मै इथोपिया युगांडा और  अंगोला मै आज भारतवर्ष मै हर तहसील मै चार पांच जाट मार्बल का शोरूम कर  रखा है।  अब  अफ्रीकी देशों मै व्यापारी बनना है । वहा अभी स्कोप बहुत है जनसंख्या भी कम है ज़मीन मै मिनरल बहुत है और जाट समाज को धरती धन मै मागत है और सफल भी  होते है।  व्यापार के साथ गांव ढाणियों से निकला कर शहरों में जाने से बच्चों की शिक्षा उच्च श्रेणी में हो रही है बड़े लोगों  बड़े उद्योगपतियों एवम् व्यापारियों से बच्चे मिलने से आज बच्चों का मानसिक विकास हो रहा  है 

उन्होंने बताया कि आज कनाडा यूरोप और UAS मै भी मार्बल ग्रेनाइट का व्यापार शुरू कर दिया  । इंसान में हौसला और जज्बा होना चाहिए , फिर वो असंभव को संभव बना देता है । इसका उदाहरण मै पाबूराम  एक मिशाल बन कर समाज को दिया ,ऐसे अनगिनत लोग है ।  जिन्होंने मिशल पेश की है ।

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