फोटो : फाइल फोटो
नीमकाथाना , 14 फरवरी 2025
रिपोर्ट : किशोर सिंह लोचिब
वरिष्ठ उपाध्याय संस्कृत स्कूल गणेश्वर में शुक्रवार को बच्चों को भारतीय सांस्कृतिक मूल्य एवं संस्कार देने के लिए मातृ पितृ पूजन दिवस मनाया गया। इस दौरान बच्चों ने पूजा की थाली सजाकर माता पिता को तिलक लगाकर पुष्प मालाएं अर्पित की और मुंह मीठा कर पूजन किया। वही माता पिता ने बच्चों को हृदय से लगाकर आशीर्वाद दिया।
इस अवसर पर पंचायत समिति सदस्य अवतार गुर्जर ने बताया कि पाश्चात्य संस्कृति के अंधानुकरण से बच्चों में नैतिक संस्कार कम हो गए हैं। बच्चों को अपने माता पिता की सेवा और सम्मान करना चाहिए। माता पिता,बड़े बुजुर्गों की सेवा सबसे बड़ा धर्म हैं।उन्होंने कहा कि बच्चे कभी भी अपने माता पिता का ऋण नहीं उतार सकते। हमें अपने माता पिता की आज्ञा का सदैव पालन करना चाहिए ।
समाजसेवी भगुराम कुमावत ने कहा कि हमें भी श्रवण व भगवान राम की शिक्षाओं का अनुसरण करते हुए माता पिता का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने अभिभावकों से आग्रह किया कि अपने बच्चों को मोबाइल फोन न दें।
समाजसेवी सेवाराम वर्मा ने कहा कि माता पिता जीवन में एक बार ही मिलते हैं। कभी भी उनका दिल नहीं दुखाना चाहिए। विदुषी प्रेमकुमारी सैनी ने कहा कि हमें अपनी जड़ों से कभी भी दूर नहीं होना चाहिए। प्रेम सैनी द्वारा भजन भी प्रस्तुत किए गए।
शिक्षिका आशा वर्मा और प्राध्यापक आशा मीणा ने कहा कि अनुशासन, सेवा,सादगी,प्रकृति पूजा, अनेकता में एकता, जियो और जीने दो, वसुधैव कुटुंबकम् हमारी भारतीय संस्कृति की मुख्य विशेषताएं हैं।
इस दौरान प्राध्यापक सुरेश सैनी द्वारा वेद ऋचाओं के साथ विभिन्न पौराणिक प्रसंग सुनाते हुए बच्चों को गौरवशाली भारतीय संस्कृति से जुड़े रहने हेतु प्रेरित किया।
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