श्रीरामकथा ‘गुणगान’ का भव्य समापन : कथा के अंतिम दिन - रावण संहार, माता सीता को श्रीराम के दर्शन और श्रीराम के राज्याभिषेक के प्रसंग की हुई सुन्दर प्रस्तुति

फोटो  : फाइल फोटो 

चिड़ावा , 08 जुलाई 2025        
रिपोर्ट  : सुरेश कुमार 

घुघाडी धाम के महंत अवध बिहारी दास के सानिध्य में स्थित स्वामी गरुडध्वजाचार्य जी महाराज में चल रही सात दिवसीय श्रीरामकथा ‘रघुनायक गुणगान’ का भव्य समापन मंगलवार को अत्यंत श्रद्धा, भक्ति और भावविभोर वातावरण में संपन्न हुआ। यह आयोजन प्रतिष्ठान के संस्थापक स्वामी गरुडध्वजाचार्य जी महाराज की पुण्यतिथि पर आयोजित किया गया था । उनकी प्रथम तपस्या  घुघाड़ी धाम में ही थी और वहां के संतों की तपस्या के साथ चिड़ावा के भक्तों को भी आशीर्वाद मिल रहा है।

घुघाडी धाम पूरे भारतवर्ष में एकमात्र ऐसा स्थान है जो साल में एक बार खुलता है उसका नाम राम झरोखा है जहां संतो को साक्षात में भगवान राम के दर्शन हुए थे। इसी स्थान से स्वामी गरुडध्वजाचार्य जी महाराज चिड़ावा में आकर आदर्श सेवा प्रतिष्ठान की स्थापना की। जिसकी गुरु पीठ घुघाडी धाम ही है और उनके पुण्यतिथि के अवसर पर ही यह कार्यक्रम, जो पूरे सप्ताह सामाजिक समरसता और आध्यात्मिक एकता का संदेश देता रहा।

कथा के अंतिम दिन हनुमान जी के चरित्र, नल-नील द्वारा समुद्र पर सेतुबंधन, लंका प्रस्थान, मेघनाद और कुंभकर्ण वध, रावण संहार, माता सीता को श्रीराम का दर्शन, पुष्पक विमान द्वारा अयोध्या आगमन और अंत में श्रीराम के राज्याभिषेक के प्रसंग अत्यंत प्रभावशाली रूप में प्रस्तुत हुए।

कथा व्यास शास्त्री कोसलेंद्रदास (अध्यक्ष – दर्शन विभाग, जगद्गुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय, जयपुर) ने कहा कि रामकथा का समापन नहीं होता। वह जीवन के हर मोड़ पर धर्म, धैर्य और दया की प्रेरणा बनकर साथ चलती है। हनुमान जी सेवा के आदर्श हैं। नल-नील श्रम और सहयोग के प्रतीक हैं और रामराज्य मानवता की वह कल्पना है जिसमें न्याय, करुणा और सबके लिए सम्मान होता है।

पुष्पक विमान से श्रीराम, सीता और लक्ष्मण के अयोध्या लौटने पर कथा स्थल पर मानो आनंदोत्सव छा गया। श्रद्धालु 'जय सियाराम' के उद्घोष से भावविभोर हो उठे। भरत-मिलन और राज्याभिषेक के प्रसंग में सभी की आँखें नम थीं और हृदय पुलकित।

महंत अवध बिहारीदास महाराज ने कथा के सफल आयोजन पर संतोष व्यक्त करते हुए सभी श्रोताओं, सेवकों और सहयोगियों का हृदय से धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम के जीवन से हमें सेवा, समर्पण और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है। ऐसी कथाएँ केवल सुनने की नहीं, जीवन में उतारने की होती हैं।

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