फोटो : फाइल फोटो
दिल्ली, 08 दिसंबर 2025
रिपोर्ट : एडिटर
प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा में 'वंदे मातरम्' की 150वीं वर्षगांठ पर कहा - यही वंदे मातरम् है जिसने 1947 में देश को आज़ादी दिलाई। स्वतंत्रता संग्राम का भावात्मक नेतृत्व इस वंदे मातरम् के जयघोष में था। उन्होंने कहा - यहां कोई पक्ष-प्रतिपक्ष नहीं है, हम सबके लिए यह रण स्वीकार करने का अवसर है, जिस वंदे मातरम् के कारण हमारे लोग आज़ादी का आंदोलन चला रहे थे उसी का परिणाम है कि आज हम सब यहां बैठे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा - हम देशवासियों को गर्व होना चाहिए कि दुनिया के इतिहास में कहीं पर भी ऐसा कोई काव्य नहीं हो सकता, ऐसा कोई भाव गीत नहीं हो सकता जो सदियों तक एक लक्ष्य के लिए कोटि-कोटि जनों को प्रेरित करता हो। पूरे विश्व को पता होना चाहिए कि गुलामी के कालखंड में भी ऐसे लोग हमारे यहां पैदा होते थे जो इस प्रकार के भावगीत की रचना कर सकते थे, यह विश्व के लिए अजूबा है।
वंदे मातरम् की शुरुआत 1875 में :-
पीएम मोदी ने कहा - वंदे मातरम् की शुरुआत बंकिम चंद्र चटोपाध्याय ने 1875 में की थी, यह गीत उस समय लिखा गया था जब 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद अंग्रेज सल्तनत बौखलाई हुई थी, भारत पर भांति-भांति के दबाव डाल रही थी, भांति-भांति के जुल्म कर रही थी। उस समय उनके राष्ट्र गीत को घर-घर तक पहुंचाने का षड्यंत्र चल रहा था, ऐसे समय में बंकिम चंद्र चटोपाध्याय ने ईंट का जवाब पत्थर से दिया और उसमें से वंदे मातरम् का जन्म हुआ।
बंगाल को बनाया प्रयोगशाला :-
पीएम ने कहा - अंग्रेजों ने बांटों और राज करो, इस रास्ते को चुना और उन्होंने बंगाल को इसकी प्रयोगशाला बनाया क्योंकि वो भी जानते थे कि वो एक वक्त था जब बंगाल का बौद्धिक सामर्थ्य देश को दिशा, ताकत, प्रेरणा देता था और इसलिए अंग्रेज भी जानते थे कि बंगाल का यह जो सामर्थ्य है वो पूरे देश की शक्ति का एक केंद्र बिंदु है और इसलिए अंग्रेजों ने सबसे पहले बंगाल के टुकड़े करने की दिशा में काम किया।
पीएम मोदी ने कहा - अंग्रेजों का मानना था कि एक बार बंगाल टूट गया तो यह देश भी टूट जाएगा। इसी उदेश्य से 1905 में अंग्रेजों ने बंगाल का विभाजन किया लेकिन जब अंग्रेजों ने 1905 में यह पाप किया तो वंदे मातरम् चट्टान की तरह खड़ा रहा। बंगाल की एकता के लिए वंदे मातरम् गली-गली का नाद बन गया था और वो ही नारा प्रेरणा देता था।
पीएम ने कहा - बंगाल का विभाजन तो हुआ लेकिन बहुत बड़ा स्वदेशी आंदोलन हुआ और तब वंदे मातरम् हर जगह गूंज रहा था। अंग्रेज समझ गए थे कि बंगाल की धरती से निकला बंकिम बाबू का यह भाव सूत्र जो उन्होंने तैयार किया था उसने अंग्रेजों को हिला दिया था। इस गीत की ताकत इतनी थी कि अंग्रेजों को इस गाने पर प्रतिबंध लगाने पर मजबूर होना पड़ा था। गाने और छापने पर ही नहीं वंदे मातरम् शब्द बोलने पर भी सज़ा, इतने कठोर कानून लागू किए थे।
पीएम मोदी ने कहा- हम लोगों पर वंदे मातरम् का कर्ज है। वही वंदे मातरम है जिसने वो रास्ता बनाया जिस रास्ते से हम यहां पहुंचे हैं और इसलिए हमारा कर्ज बनता है। भारत हर चुनौतियों को पार करने में सामर्थ्य है। वंदे मातरम् सिर्फ गीत या भावगीत नहीं, यह हमारे लिए प्रेरणा है...हम आत्मनिर्भर भारत के सपने को लेकर चल रहे हैं और इसको पूरा करने के लिए वंदे मातरम् हमारी प्रेरणा है। हम स्वदेशी आंदोलन को ताकत देना चाहते हैं। समय बदला होगा, रूप बदले होंगे लेकिन पूज्य गांधी ने जो भाव व्यक्त किया था उस भाव की ताकत आज भी मौजूद है और वंदे मातरम् हमें जोड़ता है।
पीएम ने कहा - भारत पर जब-जब संकट आए देश वंदे मातरम् की भावना के साथ आगे बढ़ता रहा। आज भी 15 अगस्त, 26 जनवरी की बात आती है, हर घर तिरंगे की बात आते है तो चारों तरफ यही भाव दिखता है... जब देश की आजादी को कुचलने की कोशिश हुई, संविधान की पीठ पर छूरा घोंप दिया गया, आपातकाल थोपा गया तो यही वंदे मातरम् की ताकत थी कि देश खड़ा हुआ। देश पर जब भी युद्ध थोपे गए, संघर्ष की नौबत आई यही वंदे मातरम् का भाव था कि देश का जवान सीमाओं पर अड़ गया और मां भारती का झंडा फहराता रहा, विजय प्राप्त करता रहा।
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