अनिरुद्ध सिंह ने खुद को बताया राजपूत : भरतपुर के पूर्व राजपरिवार विवाद में जाट महासभा की हुई एंट्री, पूर्व मंत्री विश्वेंद्र के बेटे अनिरुद्ध पर भड़के राजाराम मील

फोटो  :फाइल फोटो 

जयपुर / भरतपुर , 26 मई 2024

पूर्व मंत्री विश्वेंद्र के बेटे अनिरुद्ध ने खुद को राजपूत बताकर नया बखेड़ा खड़ा कर दिया है। जिसके बाद मामले में राजस्थान जाट महासभा की एंट्री हो गयी अनिरुद्ध सिंह की ओर से भरतपुर राज परिवार का निकास करौली से बताने के बाद राजस्थान जाट महासभा ने पलटवार करते हुए कहा कि भरतपुर राज परिवार का निकास भरतपुर के यदुवंशीय जाटों से है। महासभा ने अनिरुद्ध के बयान को गलत बताते हुए इसकी निंदा भी की है।

अध्यक्ष राजाराम मील की ओर से जारी बयान में महासभा ने इतिहासकार ज्ञात वंश कुंवर रिसाल सिंह यादव, अंग्रेज लेखक इलियट भाग-3, कालिका रंजन कानूनगो के हिस्ट्री ऑफ द जाट्स एवं भरतपुर का इतिहास के लेखक रामवीर सिंह वर्मा आदि ग्रन्थों के आधार पर कहा है कि श्रीकृष्ण से लेकर भरतपुर के अन्तिम नरेश तक भरतपुर राजपरिवार यदुवंशीय जाट क्षत्रिय है। महासभा ने दावा किया है कि यदुवंश की वंशावली से ज्ञात होता है कि तहनपाल के कई पुत्र थे, जिनमें ज्येष्ठ पुत्र धर्मपाल से करौली और उसके तीसरे पुत्र मदनपाल से भरतपुर जाट राजवंश के सिनसिनवार व सीगरिया परिवार निकले हैं।

राजाराम मील ने कहा कि राजस्थान सरकार के पूर्व केबिनेट मंत्री महाराजा विश्वेन्द्र सिंह के पुत्र अनिरूद्ध सिंह द्वारा भरतपुर राज परिवार का निकास करौली के यदुवंशी राजपूतों से बताना घोर निन्दनीय एवं सरासर गलत है।

उन्होंने कहा कि इतिहासकार ‘‘ज्ञात वंश’’ कुंवर रिसाल सिंह यादव, अंग्रेज लेखक इलियट भाग-3, कालिका रंजन कानूनगो के ‘‘हिस्ट्री ऑफ द जाट्स’’, ‘‘भरतपुर का इतिहास’’ के लेखक रामवीर सिंह वर्मा आदि गणमान्य ग्रन्थों के आधार पर श्रीकृष्ण से लेकर भरतपुर के अन्तिम नरेश तक भरतपुर राजपरिवार यदुवंशीय जाट क्षत्रिय है। यदुवंश की वंशावली से ज्ञात होता है कि तहनपाल के कई पुत्र थे, जिनमें ज्येष्ठ पुत्र धर्मपाल से करौली और उसके तीसरे पुत्र मदनपाल से भरतपुर जाट राजवंश के सिनसिनवार व सोगरिया परिवार निकले है। करौली का राजपरिवार जादोन राजपूत कहे जाते है और भरतपुर का राजपरिवार जाट। भरतपुर राजपरिवार का निकास करौली से नही है अपितू करौली राजपरिवार का निकास भरतपुर के यदुवंशीय जाटों से है।

उन्होंने कहा कि भरतपुर के महाराजा किशन सिंह ने अखिल भारतवर्षीय जाट महासभा के सम्मेलन जो सन् 1925 ई0 में पुष्कर में हुआ था। शिलालेख में उनका नाम दर्ज है। इस सम्मेलन में महाराजा किशन सिंह ने अपने भाषण में कहा कि ‘‘मैं भी राजस्थान का एक निवासी हूँ। मेरा दृढ़ निश्चय है कि यदि हम योग्य हो तो कोई शक्ति संसार में ऐसी नही है जो हमारा अपमान कर सके। मुझे इस बात का भारी अभिमान है कि मेरा जन्म जाट जाति में हुआ है। हमारी जाति की शूरता के चरित्रों के इतिहास में पन्ने के पन्ने भरे पड़े है। मैं विश्वास करता हूँ कि शीघ्र ही हमारी जाट जाति की यश पताका संसार भर में फहराने लगेगी।’’

मील ने कहा कि भरतपुर राजवंश के महाराजा सूरजमल से लेकर अन्तिम शासक महाराजा बृजेन्द्र सिंह ने अनेक अवसरों पर कहा कि वे जाट है व 4 जनवरी 2023 को राजस्थान के प्रमुख समाचार पत्रों में वक्तव्य जारी कर महाराजा विश्वेन्द्र सिंह ने पैधोर चामड़ मन्दिर पर आयोजित पंचायत में स्पष्ट कहा था कि उनके पूर्वज जाट थे, जाट है और जाट ही रहेंगे। इसी तरह 5 मार्च 2023 को जयपुर में आयोजित विशाल ‘‘जाट महाकुंभ’’ में भी महाराजा विश्वेन्द्र सिंह पधारे और दमभरा भाषण दिया था।

ऐतिहासिक तथ्यों के विपरीत व अपने पूर्वजों के विरूद्ध अनिरूद्ध सिंह का आचरण मानसिक दिवालिया पन का प्रतीक है। अनिरुद्ध सिंह का आचरण भरतपुर के महान जाट शासकों की प्रतिष्ठा और ऐतिहासिक तथ्यों के विपरीत तो है ही उन्होंने अपने पिता जाट समाज के गौरव महाराजा विश्वेन्द्र सिंह के विरूद्ध भी घोर निन्दनीय व्यवहार किया है।

उन्होंने कहा कि अनिरूद्ध सिंह के बयान से भारतवर्ष का जाट समाज आहत है व उनके कृत्य की घोर भर्त्सना करता है। मर्यादाहीन आचरण करने वाले अनिरूद्ध सिंह का सामाजिक बहिष्कार करे।

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